क्यों नहीं हुआ राधा-कृष्ण का विवाह Vivah Radha Krishna Ka Nahi Hui

क्यों नहीं हुआ राधा-कृष्ण का विवाह Krishna Ki Shadi Kyo Nahi Hui Radha

राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी प्रेम, विरह और भक्ति का अनूठा संगम है. राधा रानी जी का प्रेम दिव्य है सांसारिक नहीं. श्री कृष्ण और राधा जी की प्रेम कहानी अधूरी रह गई, राधा और श्री कृष्णा जी का विवाह नहीं हो पाया. आखिर क्यों अधूरी रह गई राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी, आइये जानते हैं.


राधा और कृष्ण का प्रेम एक आध्यात्मिक प्रेम था और यह सांसारिक प्रेम के बंधन में नहीं बंध सकता था. कुछ मान्यता है कि कृष्ण के माता-पिता ने उन्हें राधा से शादी करने से रोक दिया था. एक और मान्यता है की राधा और कृष्ण ने खुद ही इस प्रेम को अधूरा रहने दिया ताकि यह एक अमर प्रेम कहानी बन सके. जिस कारण से भी हो, राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है. यह एक ऐसी कहानी है जो हमें प्रेम, विरह और भक्ति की गहराइयों को समझने में मदद करती है. यह एक ऐसी कहानी है जो हमें यह बताती है कि प्रेम सबसे शक्तिशाली शक्ति है जो इस दुनिया में मौजूद है.

 

ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से हो जाता है और वह कृष्ण की मामी बन जाती है. इस कारण से, राधा और कृष्ण कभी शादी नहीं कर पाते हैं. एक अन्य कहानी के अनुसार, राधा अपने घर को छोड़ देती है और अपनी एक परछाई घर पर छोड़ देती है. उस परछाई से गोपा की शादी कर दी जाती है. इस कहानी का अर्थ यह है कि राधा और कृष्ण का प्रेम इतना गहरा था कि वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे, भले ही वे एक साथ नहीं हो सकें. राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी एक आदर्श प्रेम कहानी है. यह हमें सिखाती है कि प्रेम सब कुछ माफ कर सकता है और प्रेम के लिए कोई बाधाएं नहीं हो सकती हैं. 

 

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राधा जी ने श्री कृष्ण जी से विवाह क्यों नहीं किया ? इसके विषय में एक मत यह भी है की श्री राधे रानी को यह आभाष हो चूका था की श्री कृष्ण जी भगवान् हैं और वे भगवान् से विवाह नहीं कर सकती थी. अतः इस मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण और राधा जी के विवाह के लिए राधा रानी ने ही इनकार किया था.

 


गर्ग संहिता के मुताबिक कृष्ण और राधा का विवाह ब्रह्मा जी ने करवाया था. यह विवाह एक अद्भुत घटना थी, और इस घटना के बाद कृष्ण और राधा के बीच एक अनोखा प्रेम संबंध बन गया. यह प्रेम संबंध इतना शक्तिशाली था कि यह सभी बाधाओं को पार कर गया. कृष्ण और राधा के प्रेम ने उन्हें एक-दूसरे के प्रति समर्पित और निष्ठावान बना दिया. यह प्रेम ही उन्हें शक्ति और साहस प्रदान करता था. कृष्ण और राधा का प्रेम एक आदर्श प्रेम था. यह प्रेम एक-दूसरे के प्रति समर्पण, विश्वास और सम्मान पर आधारित था. यह प्रेम एक-दूसरे के लिए त्याग और बलिदान पर आधारित था. यह प्रेम एक-दूसरे के लिए खुशी और समृद्धि की कामना पर आधारित था.

 

जब श्री कृष्णजी वृन्दावन छोड़कर जा रहे थे तब उन्होंने राधा से लौटकर आयेंगे, लेकिन वे कभी नहीं आए. श्री कृष्ण की मुलाकात रुक्मणी से हुई जो मन ही मन उन्हें अपना पति मान चुकी थीं. जब रुक्मणी का विवाह किसी दूसरे से कराया जा रहा था तब कृष्ण जी वहां पहुंच गए और श्री कृष्ण की शादी रुकमनी से हुई. रुक्मणी के पिता शिशुपाल एक शक्तिशाली राजा थे. उन्होंने रुक्मणी का विवाह अपनी पसंद के राजकुमार से करने का फैसला किया. रुक्मणी को यह पसंद नहीं था, लेकिन वह अपने पिता के खिलाफ नहीं जा सकती थी.

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा को रुक्मणी का आध्यात्मिक अवतार माना जाता है. रुक्मणी कृष्ण की पत्नी थीं. इस कथा का अर्थ यह है कि राधा और कृष्ण का प्रेम एक आध्यात्मिक प्रेम था. यह प्रेम भौतिक प्रेम से कहीं अधिक गहरा और पवित्र था.


राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय प्रेम कहानियों में से एक है. यह कहानी कृष्ण के बचपन से शुरू होती है, जब वे वृंदावन में एक गोपी के रूप में रहते थे. राधा कृष्ण से बहुत प्यार करती थीं, लेकिन कृष्ण उन्हें एक दोस्त के रूप में देखते थे. जब कृष्ण 16 साल के थे, तो उन्होंने वृंदावन छोड़ दिया और मथुरा चले गए. राधा बहुत दुखी हुईं, लेकिन उन्होंने कृष्ण को कभी नहीं भुलाया.


कुछ साल बाद, कृष्ण मथुरा से वापस वृंदावन आए. उन्होंने राधा से शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन राधा ने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वे कृष्ण को एक दोस्त के रूप में प्यार करती हैं, लेकिन वे एक पत्नी के रूप में नहीं. कृष्ण बहुत दुखी हुए, लेकिन उन्होंने राधा के फैसले का सम्मान किया. राधा और कृष्ण का विवाह कभी नहीं हुआ लेकिन वे हमेशा एक-दूसरे से प्यार करते रहे. 


राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी अधूरी क्यों रह गई, इसके कई कारण हैं. एक कारण यह है कि कृष्ण एक देवता थे, और राधा एक इंसान थीं. एक देवता और एक इंसान का विवाह संभव नहीं था. दूसरा कारण यह है कि राधा और कृष्ण दोनों बहुत अलग-अलग व्यक्तित्व के थे. कृष्ण एक योद्धा थे, और राधा एक शांत और धार्मिक व्यक्ति थीं. इन मतभेदों के कारण उनके बीच कभी भी एक मजबूत रिश्ता नहीं बन पाया.


हालांकि, राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी अधूरी रही, लेकिन यह आज भी लोगों को प्रेरित करती है. यह कहानी हमें बताती है कि प्रेम सबसे शक्तिशाली शक्ति है, और यह किसी भी बाधा को पार कर सकता है.


कृष्ण ऐसे मिले राधा से

कृष्ण चार-पांच साल के थे. वे अपने पिता नंद के साथ गाय चराने खेतों में जाया करते थे. एक दिन अचानक तेज बारिश हुई. कृष्ण रोने लगे. नंद परेशान हो गए. वे कृष्ण को चुप कराने के लिए गले लगाने लगे. तभी सामने से एक सुंदर कन्या आते हुए दिखी. नंद बाबा ने उस कन्या को कृष्ण की देखभाल करने के लिए कहा. उस लड़की का नाम राधा था. राधा जी ने अपने पूर्ण मनोयोग से श्री कृष्ण भगवान् की देखभाल की. वह कृष्ण की उम्र की ही थी. वह एक बहुत ही सुंदर और दयालु प्रवृति की थी.


एक दिन राधा अकेली थी. कृष्ण ने उसे देखा. वह युवक बन गया. उसने राधा को बताया कि वह कृष्ण है. राधा बहुत खुश हुई. उसने कृष्ण को गले लगा लिया. इस तरह दोनों की पहली मुलाकात हुई. श्री कृष्ण और राधा का प्रेम बहुत ही सच्चा और पवित्र था. उनका प्रेम दिव्य और अलौकिक है.

 

कभी अलग नहीं हुए कृष्ण-राधा

कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी हिंदू धर्म की सबसे प्रसिद्ध प्रेम कहानियों में से एक है. हालांकि, कृष्ण और राधा का प्रेम बहुत ही पवित्र और सच्चा है. वे एक-दूसरे के लिए बहुत समर्पित हैं और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ रहते हैं. उनका प्रेम आज भी लोगों को प्रेरित करता है और यह हमें बताता है कि प्रेम सबसे अधिक पवित्र भावना है. कुछ पौराणिक कहानियों की मानें तो राधा खुद को कृष्ण के लायक नहीं समझती थीं. इसलिए वे प्रेम करते हुए भी कृष्ण से शादी न करने के फैसले पर अटल रहीं. यही कारन रहा की श्री कृष्ण जी और राधा जी की शादी नहीं हो पाई. लेकिन, कृष्ण और राधा के प्रेम की कहानी आज भी लोगों को प्रेरित करती है और यह हमें बताती है कि प्रेम सबसे शक्तिशाली शक्ति है. यह प्रेम सभी बाधाओं को पार कर सकता है.


क्यों नहीं हुई थी राध-कृष्ण की शादी

राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध प्रेम कहानियों में से एक है. यह कहानी दिव्य और पवित्र है. ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से हो जाता है और राधा रानी कृष्ण जी की रिश्ते में मामी बन जाती है. इस कारण से, राधा और कृष्ण कभी शादी नहीं कर पाते हैं. एक अन्य कहानी के अनुसार, राधा अपने घर को छोड़ देती है और एक परछाई अपने घर पर छोड़ देती है. उस परछाई से गोपा की शादी कर दी जाती है. इस कहानी का अर्थ यह है कि राधा और कृष्ण का प्रेम इतना गहरा था कि वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे, भले ही वे एक साथ नहीं हो सकें.


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